Tuesday, April 21, 2020

मेघनाद का वध एवं उसके मृत शरीर का प्रभु श्रीराम द्वारा सम्मान

👉मेघनाद का वध हुआ, उसका सर जमीन पर गिरा ततपश्चात उस शूरवीर के मृत शरीर पर जिस प्रकार प्रभु श्रीराम ने अपने निज वस्त्रों से उसका सम्मान किया, मुझे अनायास ही पिछले वर्ष अपने जीवन की अंतिम यात्रा पूरी करने वाले महापुरुष स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का कारगिल युद्ध के समय का आचरण याद आ गया।
जब दुष्टों (पाकिस्तान) ने हार मान ली और अपने सैनिकों के शवों को पहचानने व लेने तक से मना कर दिया तब स्व. अटल जी की प्रेरणा से उन सभी पाकिस्तानीयों के शवों की ससम्मान अंत्येष्टि (फ़ातिहा पढ़कर, सुपुर्द-ए-खाक) करायी गयी।
🙏धन्य है वर्तमान भारतीय राजनीति के प्रेरणास्रोत🙏
कारगिल युद्ध पर पाकिस्तान को उसकी औकात बताने वाली एक कविता की कुछ पंक्तियां याद आ गयी
अरे हम तो उस संस्कृति के वाहक है,
जिन लाशों को तुम पहचानने तक से मना कर देते हो,
हम उनका अंतिम संस्कार भी उनकी मान्यताओं के अनुसार करते है....
परन्तु यदि दैत्य प्रवृत्ति की बात की जाए तो उन्होंने हमारे वीर सैनिकों को जिस प्रकार की यातनाएं देकर उनके शवों को क्षत विक्षत किया उसके लिए कैप्टन सौरभ कालिया जैसे अनेकों वीरों की गाथा लिखना शायद किसी के लिए सम्भव न हो।।।
सन्देश - हम सभी ऐसी महान संस्कृति के वाहक है, आप सभी से निवेदन है अपने बच्चों को भी इस संस्कृति की महानता के बारे में बताए एवम किसी दुष्ट की बातों में आकर अपने अंदर हीन भावना न लाएं...
🙏जय हिंद जय भारत जय भारतीय संस्कृति🙏